Monday, June 30, 2008

मानवता

हम बैठे हैं बारूद के टीले पर
हमीं ने जमा किए हैं बारूद
सभ्यता के नाम पर
हम सभ्य हो गए हैं क्यूंकि
हम रहते हैं लोहे और सीमेंट के बने जंगलों में
प्रकृति से प्रगति करते करते
आज बारूद के ढेर पे बैठे हम
मानवता के भविष्य के लिए चिंतित भी हैं
इसीलिय करते हैं पृथ्वी सम्मलेन या निर्श्त्री करण की बातें
मानवता के विनाश की सारी सामग्री जुटा
हम मानवता की रक्षा हेतु सभाएं करते हैं
हमारा ऐसा करना हमारी नियति है
भविष्य के अन्धकार से अनजान
हम लोग मानवता की डाल को
मानवता की कुल्हाडी से काटते जाते हैं
हमारी विनाशलीला सतत जारी है

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