Tuesday, December 23, 2008

एकता

जन मन की पुकार सुनो
हो सके तो सीत्कार सुनो
सारे जहाँ से अच्छा हमारे देश में ,
गोलियों की दहाड़ सुनो
कुछ तो याद करो राम को
कृष्ण, गौतम बुद्ध, गाँधी को
भौतिकता की अंधी दौड़ में
शान्ति की पुकार सुनो
बांटों न देश को खंड-खंड
बांटों न मनुष्य को जाति-जाति
हो सके तो जोड़ो सबों को
एकता की पुकार सुनो
जनमन की पुकार सुनो।

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