Tuesday, December 23, 2008

भरमाना

मन हुलास और चंचल घडियाँ
ऐसे जाएँ बीते-बीते
तुम हो पास और चंचल घडियाँ
क्षण-क्षण जाएँ बीते-बीते।
ऐसे रहना पास तुम्हारे
मन को खूब भाता है
जीवन में उमंग भर जाता
मन प्रसन्न हो जाता है।
मिलन क्षण और दौड़ती घडियाँ
कैसे जाएँ बीते-बीते
तुम हो पास और चंचल घडियाँ
क्षण-क्षण जाएँ बीते-बीते।
मानो हो जीवन की संध्या
कुछ ही क्षण में जाना हो
बेला तुमसे मिलने की
कुछ पल का भरमाना हो।
जीने की आस और उन्मन घडियाँ
कैसे जाएँ बीते-बीते
तुम हो पास और चंचल घडियाँ
क्षण-क्षण जाएँ बीते-बीते।

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