गा मन फाग
फगुनाहट बहा
मस्ती छाई
बिरहन की पीडा
टीसता मन
३मन हठीला
जिद कर कहता
पा लूँ तुझे
४रोटी पानी की
चिंता में डूबी
सारी दुनिया
५काली आखों से
खिलखिल हंसती
ये सुंदरी
६बसन्त आया
सुंदर फूलों से
धरनी पटी
Sunday, March 29, 2009
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