Wednesday, September 24, 2008

दिशा

रात्रि भर निपट अंधेरे से गुजरने के बाद ,
दिशाओं के गाल होने लगे लाल ,
प्रियतम के आगमन को गुन ।
दिवस भर संग-साथ रहा ,
हास और परिहास रहा ,
उछले कूदे मौज मनाये ।
आते ही संध्या ,
दिशाएं हो गयीं पलाश ,
विरह की संभावना से त्रस्त ,
धीरे -धीरे ,
पुनः अंधकार में डूब गयीं ।