Tuesday, September 16, 2008

चिड़या रानी


चिड़ियाँ रानी चिड़ियाँ रानी
क्यूँ करती इतनी शैतानी
घूम घूम कर थक कर के
पी लेती हो ठंडा पानी ।
चूं चूं करके गाती हो
फर फर कर उड़ जाती हो
देख बिखरे चंद दाने
फुदक फुदक चली आती हो ।
तेरे सुंदर पंख निराले
रंग बिरंगे और चमकीले
क्षण क्षण फुदक फुदक तुम
गाती हो गीत रंगीले।
जीवन तेरा सुखमय है
जीवन तेरा है रंगीन
नभ में उड़ने की कला में
तुम पुरी हो प्रवीण।
कभी अपनी प्रवीणता से
मुझे भी परिचित करवाओ
अपने सुंदर पंख सुनहले
कुछ दिन ही मुझको दे जाओ ।

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