बनना देश का
है बटना खेत का
धरती माँ को टुकड़े में काट कर
हम खुश होते हैं अपने को बाँट कर
धरती हंसती है हमारा व्यापार देख
जीवन के उथलपुथल और कारोबार देख
हमारे बाँटने से क्या बंटतीहै धरती
हमारे काटने से क्या कटती है धरती
कटते तो हैं हम अपने परिवार से
अपने बंधु एवं अपने विचार से
हमारा अट्टहास हमारा क्रंदन है
हमारा जीवन एक बंधन है
कितना भी बाँट लें हम धरती
कितना भी बना लें हम बॉर्डर लाइन
लेकिन धरती अगर सचमुच खंडित हो गई
तो क्या बचेंगे हम
खंडन को रोकने के लिए
Tuesday, November 25, 2008
दंगा
आज दंगा हो गया
ये शहर नंगा हो गया
सड़कें सुनसान हो गयीं
बस्तियां वीरान हो गयीं
जीवन इसमें खो गया
आतंक का राज हो गया
जीना मुहाल हो गया
मरना कमल हो गया
मनुष्य ने मनुष्य को
करना हलाल शुरू किया
आंखों में दहशत भरे
बच्चों के मुख सूख गए
अपने आँचल से ढके माँ
बच्चों की जिंदगी मनाती रही
हत्यारे खींच कर ले गए
गोद सूनी रह गईं
ये शहर नंगा हो गया
सड़कें सुनसान हो गयीं
बस्तियां वीरान हो गयीं
जीवन इसमें खो गया
आतंक का राज हो गया
जीना मुहाल हो गया
मरना कमल हो गया
मनुष्य ने मनुष्य को
करना हलाल शुरू किया
आंखों में दहशत भरे
बच्चों के मुख सूख गए
अपने आँचल से ढके माँ
बच्चों की जिंदगी मनाती रही
हत्यारे खींच कर ले गए
गोद सूनी रह गईं
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